नर्सिंग और पैरामेडिकल में कैसे होगा छात्रों का प्रवेश
जुलाई का महीना आधा बीता 600 कालेजों की मान्यता अधर में
भोपाल। नर्सिंग घोटाले के बाद सरकार ने व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए कई बदलाव किया है, लेकिन विडंबना यह है कि जुलाई का आधा महिना बीत जाने के बाद भी नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता अधर में है। प्रदेश में करीब 600 नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता की प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो पाई है। ऐसे में नर्सिंग और पैरामेडिकल में छात्रों का प्रवेश कैसे होगा? इस संदर्भ में मेडिकल विवि के कुलसचिव डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेज इस सत्र से पारंपरिक यूनिवर्सिटी के परिक्षेत्र में आएंगे। मेडिकल विवि के अंडर आने वाले 75 कालेजों में भी विवि का कार्य छात्रों का नामांकन और परीक्षा करवाना है। इन कालेजों की गुणवत्ता परीक्षण के लिए क्यूसीआई से एमओयू कर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में नर्सिंग घोटाला सामने आने के बाद शासकीय स्तर पर कई बड़े बदलाव हुए हैं। पिछले घटनाक्रम और नए बदलावों को लेकर विद्यार्थी ही नहीं विश्वविद्यालय और कालेज भी संशय की स्थिति में हैं। सत्र 2024-25 से नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेज पारंपरिक यूनिवर्सिटी के परिक्षेत्र में आ गए हैं। जुलाई का महीना आधा बीत चुका है, लेकिन उनमें अभी प्रवेश के लिए कोई तैयारी शुरू नहीं हुई है। यहां तक कि नर्सिंग और पैरामेडिकल काउंसिल ने करीब 600 कालेजों के लिए अभी मान्यता की प्रक्रिया ही शुरू नहीं की है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि अभी शासन से कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। इसलिए आगे की प्रक्रिया के बारे में अभी कछ नहीं कहा जा सकता। प्रशासक नर्सिंग काउंसिल अभिषेक दुबे का कहना है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और भी बहुत प्रक्रिया चल रही हैं। इसलिए मुझे अभी यह सब देखना पड़ेगा।
विवि की भूमिका सिमटी
इधर इस सत्र से मेडिकल यूनिवर्सिटी के परिक्षेत्र में शेष रह गए डेंटल, मेडिकल, होम्योपैथिक, आयुर्वेद, नेचुरोपैथिक, यूनानी और योगा के शेष 75 कालेजों की मान्यता व संबद्धता में भी विवि की भूमिका कम रह गई है। अब विवि केवल विद्यार्थियों का एनरोलमेंट करेंगे और परीक्षाओं का आयोजन कराएगा। हालाकि वे गुणवत्ता परीक्षण के लिए बीच-बीच में संबद्ध कालजों का निरीक्षण कर सकेंगे। इसमें भी विवाद से बचने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी अब क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया (क्यूसीआई) से एमओयू कर रहा है। सत्र 2021-22 के लिए मेडिकल विवि ने सुटेबल पाए गए 167 नर्सिंग कालेजों को संबद्धता जारी कर छात्रों की नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है. लेकिन सीबीआई जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद इन कालजों की फिर से जांच चल रही है। शेष 66 अनसुटेबल और कमियां पाए जाने वाले 73 (डेपिशएंट) कालेजों की संबद्धता नहीं है। मामले में 15 जुलाई को हाई कोर्ट में सुनवाई है। वहीं सत्र 22-23 के लिए नामांकन की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। सत्र 23-24 जीरो ईयर है। विद्यार्थी असमंजस में हैं कि वह नर्सिंग कोर्स छोडकऱ अन्य कार्यों में प्रवेश लें या फैसले का इंतजार करें। अपैक्स काउंसिल जैसे नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी), डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) आदि की मान्यता के आधार पर संबद्धता और निरंतरता दी जाएगी। विवि को समय-समय पर निरीक्षण का अधिकार रहेगा। मेडिकल विवि यह जिम्मेदारी भी क्यूसीआई को सौंप रहा है। क्यूसीआई 15-20 प्रतिशत कालेजों का रेंडम चयन करके वहां की व्यवस्थाएं चेक करके विवि को रिपोर्ट देगा।
कार्यपरिषद से लगेगी संबद्धता की मोहर
मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी अब कॉलेजों को संबद्धता जारी करने से पहले इनका निरीक्षण नहीं कराएगी। अब सीधे एकेडमिक कांउसिल की सिफारिश पर कार्यपरिषद संबद्धता जारी करने का निर्णय लेगी। कार्यपरिषद जरूरी समझेगी तो संबद्धता जारी करने से पहले कॉलेजों की जांच करा सकेगी। इसके लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी स्टेट्यूट (परिनियम) 26 में बदलाव करने जा रही है। इसको लेकर कार्यपरिषद में निर्णय ले लिया गया है। अब अपेक्स काउंसिल से मान्यता प्राप्त करने के बाद कॉलेज संबद्धता के आवेदन करेंगे, उनका एकेडमिक काउंसिल की स्टैंडिंग कमेटी परीक्षण कर सीधे संबद्धता जारी करने के लिए सिफारिश करेगी। जिसके आधार पर कार्यपरिषद संबद्धता देगी। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आईके मंसूरी का कहना है कि शासन के दिशा-निर्देश प्राप्त होते ही कार्यवाही करेंगे। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रो. अखिलेष पाण्डे का कहना है कि विश्वविद्यालय उज्जैन संभाग के अंर्तगत आने वाले 7 जिलों में स्थित नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेजों की संबद्धता विक्रम विश्वविद्यालय देगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।