राज्यसभा में मप्र की एकमात्र रिक्त सीट के लिए कई दावेदार
भोपाल । राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की रिक्त सीट को लेकर मध्यप्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज रफ्तार में हैं। आगामी 3 सितंबर को मप्र की एकमात्र सीट पर राज्यसभा में चुनाव होगा। प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा में उम्मीदवारी को लेकर कवायद तेज हैं। उधर, कांग्रेस से कहीं ज्यादा राजनेता राज्यसभा में आमद दर्ज कराने के लिए लंबी कतार में हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि गुना संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद केपी सिंह राज्यसभा में राजनीतिक पुनर्वास की तैयारी में जुटे हैं। कतार में ऐसे भी नेताओं के नाम शामिल हैं जो कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हुए तो भाजपा के वरिष्ट नेताओं की आस भी इस एक सीट पर लगी हुई है। प्रदेश के बाहर के नेताओं के नाम भी भाजपा मुख्यालय की चर्चाओं में हैं। वहीं भाजपा सूत्रों का कहना है कि पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और जयभान सिंह पवैया का नाम सबसे आगे चल रहा है।
केंद्रीय मंत्री सिंधिया का कार्यकाल साल 2026 के जून तक का है। करीब दो साल के लिए ही दिल्ली में पहुंचने के लिए माथापच्ची जारी है। भाजपा के नेता दिल्ली से लेकर प्रदेश संगठन और संघ कार्यालय में समीकरणों को साधने में जुटे हैं। केंद्रीय गृह और एमपी भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह के बयान के कारण केपी सिंह की दावेदारी पर ज्यादा जोर है। शाह ने बीते चुनावी प्रचार के दौरान कहा था कि केपी यादव की चिंता पार्टी करेगी और इस क्षेत्र को दो प्रतिनिधि मिलेंगे।
उधर, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी और कांतदेव सिंह भी राज्यसभा के टिकट के दावेदार हैं। मुकेश भाजपा के शिक्षित पूर्व विधायकों की सूची में शामिल हैं। भिंड जिले की मेंहगांव से मुकेश का टिकट काट भाजपा ने राकेश शुक्ला को टिकट दिया था। साथ ही राकेश शुक्ला को मंत्री पद से भी नवाजा गया। सिंगरौली जिले से कांतदेव संगठन में भाजपा में कई पदों पर रहे। अप्रैल में भी उनका नाम राज्यसभा के लिए चला था। लेकिन, सपना हकीकत में तब्दील नहीं हुआ। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम भी प्रबल दावेदारों में हैं। कांग्रेस में तोडफ़ोड़ कर भाजपा में शामिल करने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के नाम पर भी दिल्ली और नागपुर में चर्चा है। हिंदू बिग्रेड के नेता पवैया ग्वालियर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते थे। सिंधिया फैक्टर के कारण ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह को पार्टी ने चुना। पवैया को अन्य प्रदेशों में भी संगठन ने जिम्मेदारी देकर विश्वास जताया था। स्वतंत्रता दिवस के बाद भाजपा चुनाव समिति की बैठक में नामों का पैनल तैयार कर केंद्रीय संगठन को भेजा जाना है। सूत्रों की मानें तो हैदराबाद लोकसभा से असदुद्दीन ओवैसी से चुनाव हारी हिंदूवादी नेत्री माधवी लता और महाराष्ट्र के राष्ट्रीय मंत्री विनोद तावड़े को एमपी से राज्य सभा में एंट्री को लेकर मंथन जारी है।