अमेरिका में भी धार्मिक ध्रुवीकरण कर चुनाव जीतेंगे ट्रंप?
न्यूयॉर्क। नवंबर माह में अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा है। मौजूदा राष्ट्रपति जो वाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला तय माना जा रहा है। अमेरिका में चंदा
जुटाने के मामले में अभी जो वाइडेन आगे हैं।
इस चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धर्म का कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। उनकी हर रैली में धर्म से जुड़ा हुआ भाषण पढ़ा जा रहा है। उनकी सभाओं में धार्मिक संगीत बजाया जा रहा है। अपने जोशीले भाषण के साथ ट्रंप लोगों को ईसाई धर्म की रक्षा करने का संकल्प दिलाते हैं। हर कार्यक्रम में वह अपने साथ पादरी और धार्मिक प्रचारकों को भी साथ में लेकर जा रहे हैं। ट्रंप सभी लोगों को जो वहां उपस्थित होते हैं। उन्हें सिर झुकाकर मौन रखने की अपील करते हैं। ट्रंप अपने समर्थकों से वफादार रहने का वादा भी ले रहे हैं।
ट्रंप ने इसके पहले चर्च की सेवाओं में अपनी रुचि नहीं प्रदर्शित की थी। लेकिन अब उन्होंने 5000 रूपये की बाइबल की बिक्री के लिए अपना वीडियो पोस्ट किया है। ट्रंप ईसाई धर्म के प्रचारकों का समर्थन पाने के लिए अभियान को बड़े पैमाने पर चला रहे हैं। राष्ट्रपति पद का चुनाव वह पूरी तरह से धार्मिक ध्रुवीकरण के बल पर जीतना चाहते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री ट्रम्प के गुरु
राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप के प्रेरणा स्रोत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। नरेंद्र मोदी ने दो बार भारत में हिंदुत्व का धार्मिक धुर्वीकरण कर ऐतिहासिक जीत हासिल की है। पिछले चुनाव में उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका बुलाया था। अबकी बार ट्रंप सरकार के नारे भी लगवाये थे। उस समय ट्रंप धार्मिक ध्रुवीकरण को अभियान की तरह नहीं चला रहे थे। उन्होंने पिछला चुनाव, मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के नारे के साथ लड़ा था। अब उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में खुल्लम-खुल्ला ईसाई धर्म की रक्षा के संकल्प के साथ अपने आप को नए स्वरूप में पेश किया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना गुरु मानने लगे हैं। जिसके कारण अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव चर्चाओं में आ गया है।