ट्रेन का सफर अब आरामदायक, जनशताब्दी एक्सप्रेस का बदला लुक
रेल प्रशासन ने दिया एलएचबी कोच का तोहफा फोटो जोन की महत्वपूर्ण ट्रेनों में एक रायगढ़-गोंदिया जनशताब्दी एक्सप्रेस का लुक बदल गया है। लुक के बदलने के साथ इस ट्रेन का सफर अब आरामदायक व सुरक्षित हो गया है। रेलवे इस ट्रेन की पुरानी रैक हटाकर, उसके स्थान पर एलएचबी कोच की रैक से परिचालन की शुरुआत की है।
पहले ही दिन यात्रियों को इस ट्रेन सफर के दौरान एक अलग सुकून महसूस हुआ। रेलवे प्रशासन अपने यात्रियों को आरामदायक व सुरक्षित यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार बेहतर प्रयास कर रहा है। इन्हीं में एक एलएचबी कोच है। आधुनिक सुविधाओं से लैस इस कोच की एक बड़ी खासियत यही है कि इसका सफर आरामदायक होता है।
यही वजह है कि रेलवे धीरे-धीरे पुराने कोच हटाकर उसकी जगह पर सभी ट्रेनों एलएचबी कोच वाली रैक की व्यवस्था कर रही है। भगत की कोठी, हमसफर एक्सप्रेस, जम्मूतवी एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस समेत कई ऐसी ट्रेनें है, जो अब एलएचबी कोच के साथ चल रही है। जनशताब्दी एक्सप्रेस को एलएचबी कोच की रैक से चलाने के लिए कई महीनों से रेलवे का संबंधित विभाग जद्दोजहद कर रहा था।
अब जाकर उन्हें सफलता मिली है। एलएचबी कोच यात्रियों के लिए काफी आरामदायक, सुविधायुक्त होते हैं। रेल परिचालन की दृष्टि से एलएचबी कोच काफी सुरक्षित है। दुर्घटना के दौरान यह कोच कभी भी अलग-थलग नहीं होते। इसलिए जनहानि की आशंका बेहद कम होती है। एलएचबी कोच में हाइड्रोलिक सस्पेंशन का प्रयोग किया जाता है। वही दांये-बांये मूवमेंट के लिए भी सस्पेंशन का प्रयोग किया गया है, जिससे सफर आरामदायक हो जाता है।
जब पूरी तैयारियां हो गईं, उसके बाद रेलवे ने बुधवार को पहली बार 12070 गोंदिया–रायगढ़ जनशताब्दी एक्सप्रेस को नए एलएचबी कोच के साथ चलाया गया। 24 अगस्त से 12069 रायगढ़–गोंदिया जनशताब्दी एक्सप्रेस भी एलएचबी कोच के साथ चलेगी।बाक्स- डिजाइन 160 किमी से अधिक गति कीवर्तमान समय की मांग पर अगर स्पीड की बात की जाए तो ये कोच सामान्य कोच की अधिकतम गति 110-130 किमी की तुलना में 160 किमी से भी अधिक की गति के लिए डिजाइन की गई है।
इन कोचों में सामान्य कोचों की तुलना में ज्यादा जगह होती है। पुराने आइसीएफ़ कोच की तुलना में एलएचबी कोच में बर्थ की संख्या भी अधिक होती है। इससे रेल यात्रियों को अधिक से अधिक बर्थ की सुविधा प्रदान करने में भी सहायता मिल रही है। एक कोच में आठ अतिरिक्त बर्थ की सुविधा भी उपलब्ध मिलेगी। बाक्स- वर्ष 1999 में रेलवे में शामिल एलएचबी कोच इंडियन रेलवे में पहली बार साल 1999 में शामिल किए गए।
इसका निर्माण कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में किया जाता है। ये कोच यात्रियों के लिए काफी आरामदायक होता है। दुर्घटना की स्थिति में यह कोच कम क्षतिग्रस्त होते हैं और यात्रियों के सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं पुराने आइसीएफ कोच (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) सामान्य होता है। इसमें सफर करने के दौरान कोच में कंपन ज्यादा होती है। साथ ही ट्रेन की गति बढ़ने के साथ शोर भी काफी अधिक होता है।