Mp03.in संवाददाता  भोपाल :

सरकार के निर्देशों का पालन कराने के लिए शहर के मांस-मछली विक्रेताओं को सात दिन का समय दिया गया है। अब तक नगर निगम ने 200 से अधिक मांस दुकानों की जांच करने के साथ ही 100 दुकानों पर कार्रवाई की है। 

नई सरकार के गठन के बाद मांस-मछली और अंडा के विक्रेताओं के लिए नियमों का पालन कराने के लिए आदेश भले ही जारी किए हो, लेकिन नियम तो पहले से बने हुए हैं। अब सरकार के आदेश का सख्ती से पालन कराने की प्रशासन ने तैयारी कर ली है, जबकि नगर निगम प्रशासन चाहता तो यह पहले से हो सकता था। निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से शहर में बिना लाइसेंस वाली मांस दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रतिबंध के बाद भी खुलेआम मांस-मछली और अंडा की बिक्री की जा रही है। इन पर कोई कार्रवाई नगर निगम द्वारा नहीं की जाती है।

सरकार के आदेश आने के बाद भी निगम प्रशासन द्वारा अब तक कोई बड़ी टीम गठित नहीं की गई है, जो अवैध मांस दुकानों पर कार्रवाई कर सके। अभी अवैध दुकानों पर कार्रवाई का जिम्मा जोन के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी के पास है। एएचओ के पास स्वच्छता समेत अन्य जिम्मेदारियां है। कर्मचारी भी 40 प्रतिशत कम हैं। इसलिए निगरानी व जांच नहीं हो पा रही है।

मांस विक्रय के ये नियम
- धार्मिक स्थल से 100 मीटर की दूरी।
- पर्याप्त वेंटिलेशन के साथ दरवाजों में काला शीशा।
- पुलिस व नगर निगम की एनओसी।
- औजार स्टेनलेस स्टील के होना जरूरी।
- सब्जी समेत अन्य खाद्य पदार्थ के बाजारों से दूर हों।

लेकिन अभी भी यह हालात बने हुए हैं :

- धार्मिक स्थलों से सटकर ही दुकानें।
- कपड़े से ढंका या फिर बिना ढंका सड़क किनारे बिकता है मांस।
- औजारों के लिए स्वच्छता तक की एनओसी नहीं।
- भवानी चौक पर फूलों की दुकान के पास मांस विक्रय।

प्रशासन द्वारा सरकार के निर्देशों का पालन कराने के लिए शहर के मांस-मछली विक्रेताओं को सात दिन का समय दिया गया है, जिनमें से अभी दो दिन बीत चुके हैं। अब तक नगर निगम ने 200 से अधिक मांस दुकानों की जांच करने के साथ ही 100 दुकानों पर कार्रवाई की है। जबकि जिले में मांस-मछली की करीब दो हजार अवैध दुकानें संचालित की जा रही हैं, जिन पर अब तक निगम प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बता दें कि जिले में सिर्फ 300 ही दुकानें ऐसी हैं, जिनके पास लाइसेंस है।