दुष्कर्म पीडि़ता की गवाही ही पर्याप्त, दोषियों की सजा बरकरार
बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रजनी दुबे की डीबी ने जशपुर जिला क्षेत्र के चर्चित रेप कांड के आरोपियों की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत की सजा को अथवत रखा है। निचली अदालत ने पाक्सो एक्ट में आरोपियों को 20-20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। जशपुर जिला निवासी नाबालिग पीडि़ता 2 फरवरी 2021 की दोपहर स्कूल में भोजन अवकाश होने पर अपने सहपाठी छात्र के साथ पास के जंगल में बैठी थी। उसी समय आरोपी नंदलाल कुजूर (20), मनीष लकड़ा (18), अनिल एक्का (21) आये और उसके दोस्त व पीडि़ता से मारपीट कर जान से मारने की धमकी देते हुए सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान छात्रा के साथ गए दोस्त को वहीं पेड़ से बांधकर पिटाई की गई। आरोपी दोनों का मोबाइल फोन भी लूटकर ले गए। 4 बजे आरोपियों के चंगुल से छूटने पर पीडि़त छात्रा और उसका सहपाठी घायल अवस्था में वापस लौटे और गांव व घर वालों को घटना की जानकारी दी। शाम 7 बजे थाना पहुंच कर पीडि़ता ने रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने बारीकी से जांच कर पीडि़ता का मेडिकल कराया एवं एफएसएल जांच कराई। मेडिकल में पीडि़ता को कई चोट आने व सामूहिक दुष्कर्म होने की पुष्टि की गई। एफएसएल जांच में भी उसके कपड़ो में मानव स्पर्म मिलने की पुष्टि की गई। पुलिस ने धारा 294, 506, 394, 376 डी व पाक्सो एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने तीनों आरोपियों को पाक्सो एक्ट में 20-20 वर्ष कैद की सजा सुनाई । सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। चीफ जस्टिस व जस्टिस रजनी दुबे की डीबी ने आरोपियों की अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा रेप पीडि़ता एक इन्जुरेड विटनेस है। उसकी गवाही अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त है।