2017 के सियासी घटनाक्रम पर फिर छलका नवाज का दर्द....
पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए आम चुनाव के नतीजों के बाद नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की पीपीपी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद सत्ता में काबिज हुई। नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर मंगलवार को सेना को आड़े हाथ लिया। उन्होंने 2017 में प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए सेना को दोषी ठहराया है।
अगर मुझे 2017 में नहीं हटाते तो शायद
नवाज शरीफ ने मंगलवार को कहा कि अगर मेरी सरकार को 2017 में अगर मेरी सरकार को नहीं हटाया गया होता तो शायद पाकिस्तान के इतने बुरे हालात नहीं होते। पूर्व सेना प्रमुख जनरल (आर) कमर जावेद बाजवा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उन्हें हटाकर सत्ता पर कब्जा किया, उन्होंने पाकिस्तान के साथ गलत किया। उन्होंने कहा कि न केवल मेरी पार्टी बल्कि पाकिस्तान को भी उनकी (तत्कालीन सैन्य प्रतिष्ठान) कार्रवाई से नुकसान उठाना पड़ा। अब, हमें देश को प्रगति की राह पर वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
2017 में अपदस्थ करने का जिम्मेदान सेना- नवाज शरीफ
सत्ता में आने से पहले, नवाज ने उन पूर्व जनरलों और न्यायाधीशों को न्याय के कटघरे में लाने की कसम खाई थी, जिन्होंने उनकी सरकार को अवैध रूप से गिराया था। उनके करीबी सहयोगी और मौजूदा रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में कहा था कि संसद को जनरल बाजवा और पूर्व आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (आर) फैज हामिद और इमरान खान को बुलाना चाहिए और 2017 में नवाज सरकार को गिराने और आर्थिक आपदा में उनकी भूमिका पर उनसे पूछताछ करनी चाहिए। उनके निष्कासन के बाद इसका अनुसरण किया गया।
गौरतलब है कि नवाज शरीफ पिछले अक्तूबर में ब्रिटेन में चार साल का आत्म-निर्वासन समाप्त करने के बाद पाकिस्तान लौट आए। मौजूदा सैन्य प्रतिष्ठान को उनकी पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के साथ माना जाता था और इसलिए, नवाज को उस समय प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा माना जाता था। हालांकि, फरवरी के आम चुनावों के नतीजों ने चौथी बार प्रधानमंत्री पद की टोपी पहनने का उनका सपना चकनाचूर कर दिया था।