लालटेन युग से स्वर्णिम युग तक पहुंचा मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में अब हर घर रौशन है। एक समय था जब लोगों के घरों के मीटर तो चलते थे लेकिन बिजली का कहीं अता पता ही नहीं था। लोगों को दिनभर में बमुश्किल दो से तीन घंटे ही बिजली मिल पाती थी। दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में बिजली आना लगभ्ग अनिश्चित ही रहता था, लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में बिजली उत्पादन पर काफी काम किया गया, जिसकी वजह से बिजली की आपूर्ति को मांग के अनुरूप किया गया। पहले मांग और आपूर्ति में 1650 मेगावाट का अंतर था। अब एमपी का हर घर बिजली आपूर्ति की वजह जगमग हो गया है।
मध्यप्रदेश में अब केवल औद्योगिक इकाइयों के लिए ही नहीं बल्कि कृषि कार्यो और प्रति व्यक्ति बिजली उपलब्धता में भी काफी बदलाव आया है। वर्ष 2012-13 में राज्य में जहां 570.2 किलोवाट प्रतिघंटा बिजली लोगों को अपने प्रयोग के लिए मिल रही थी, वहीं वर्तमान में 1184.9 किलोवाट प्रतिघंटा बिजली लोगों को उपलब्ध हो रही है। अब शाम होते ही लोगों के घरो में अंधेरा नहीं होता, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
मप्र बीमारू राज्य के तमगे को हटाकर दिन-ब-दिन नए कीर्तिमान रच रहा है। आज मध्यप्रदेश बिजली उत्पादन के पारंपरिक तरीके के साथ ही वैकल्पिक प्रयोग और नई तकनीकें अपनानकर जगमगा रहा है। इन तरीकों के प्रयोग से राज्य में कुल बिजली उत्पादन दोगुना से अधिक हो गया है। वर्ष 2003 में राज्य में कुल ऊर्जा क्षमता 5175 मेगावाट थी, जबकि वर्ष 2023 में ऊर्जा क्षमता बढ़कर 29,000 मेगावाट हो गई। घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं को अब 24 घंटे बिजली मिल रही है, वहीं कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे नियमित बिजली मिल रही है। सस्ती दरों पर बिजली मिलने से लगभगर हर घर में बिजली कनेक्शन पहुंच गया है, घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट की खपत पर 543 रुपए की जगह केवल 100 रुपए का ही भुगतान करना पड़ता है। इस लिहाज से सरकार सीधे तौर पर सबको बिजली उपलब्ध कराने के लिए उपभोक्ताओं को 84 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है, जिससे प्रतिमाह लगभग 88 लाख उपभोक्ता लाभांन्वित हो रहे हैं।
कृषि कार्यों के लिए बिजली पर सब्सिडी
कृषि कार्यों के लिए बिजली यदि बाधित होती है तो किसान की साल भर की मेहनत बेकार हो सकती है। इस बात के महत्व को समझने हुए बिजली से जुड़े कृषि कार्यों के लिए सरकार ने एक बड़ी रकम सब्सिडी के रूप में देना तय किया। वर्तमान में कृषि उपभोक्ताओं को 24 हजार करोड़ रुपए की वार्षिक सब्सिडी दी जा रही है। उन्नत कृषक ही उन्नत खेती कर सकता है, किसानों को किसी तरह के कृषि संसाधनों की कमी न हो, इसके लिए 5 हॉर्स पावर के कृषि उपभोक्ताओं को 51 हजार 22 रुपए के बिल की जगह पर केवल 3700 रुपए का ही बिल देना होता है। कुल मिलाकर सरकार कृषि उपभोक्ताओं को 93 प्रतिशत बिजली सब्सिडी दे रही है। अटल कृषि ज्योति योजना और सौभाग्य योजना के अंतर्गत बिजली उत्पादन और वितरण को बेहतर करने लिए कई अहम कार्य किए गए।
ग्रीन एनर्जी से जगमगाता मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश का रीवा क्षेत्र आज विश्व पटल पर जगमगा रहा है। कारण है रीवा जिले के गुढ़ में स्थापित एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट। विश्व की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक रीवा सोलर प्लांट की कुल क्षमता का 24% दिल्ली मेट्रो के संचालन में भी इस्तेमाल होता है। यह परियोजना बिजली उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सौर परियोजनाओं को साकार कर नए कीर्तिमान रच रहा है। ओंकारेश्वर में मां नर्मदा के आंचल पर स्थापित दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट भी अद्भुत है। सांची देश की दूसरी सोलर सिटी है, जो सौर ऊर्जा से सारी रात जगमगाती है।