कमलनाथ, कांग्रेस और खालिस्तान : क्या है ये तिकड़ी की कहानी
सोशल मीडिया पर कमलानाथ और भिंडरवाले के संबंधों पर उठ रहे हैं सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलाथ को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। खुलासा किसी आम व्यक्ति ने नहीं, बल्कि रॉ के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने उठाया है। इस अधिकारी ने सीधे तौर पर कहा है कि कमलनाथ संजय गांधी के साथ मिलकर खालिस्तानी मुद्दे को सुलगाने के लिए भिंडरवाले को धन मुहैया कराते रहे हैं, जबकि भिंडारवाले न पैसे और खालिस्तान की मांग की थी।
खालिस्तान की-वर्ड सर्च किया जा रहा है गूगल पर
सोशल मीडिया पर रॉ के पूर्व विशेष सचिव जीबीएस सिद्धू का इंटरव्यू वायरल हो रहा है। यह इंटरव्यू अगस्त महीने का बताया जा रहा है। वर्तमान में कनाडा और भारत के संबंधों में जो तल्खी आई है, उस संदर्भ में पूरे देश की जनता इस वीडियो को देख रही है। खालिस्तान की-वर्ड गूगल पर खूब सर्च किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने देशहित में अपनी सख्त आपत्ति कनाडा सरकार को दर्ज कराई है। ऐसे में कनाडा में वर्षों तक काम कर चुके रॉ के पूर्व अधिकारी का बयान जनता के बीच नई बहस की शुरुआत है।
देश ही नहीं, मध्य प्रदेश में भी लोग इस वीडियो को देख-सुन रहे हैं और कांग्रेस नेता कमलनाथ को लेकर सवाल कर रहे हैं। एक ओर कमलनाथ को पहले ही चुनावी सनातनी कहा जा रहा है, दूसरी ओर कमलनाथ का खालिस्तान और भिंडरवाले समर्थक होने का यह नया प्रमाण अचरज भरा है।
कमलनाथ करते थे भिंडारवाले को फंडिंग
जीबीएस सिद्धू भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आर एंड एडब्ल्यू) के पूर्व विशेष सचिव रहे हैं। सिद्धू ने 26 साल तक रॉ के साथ काम किया है। वह 1998 में रॉ से रिटायर हुए थे। एक मीडिया इंटरव्यू में रॉ के पूर्व विशेष सचिव जीबीएस सिद्धू ने सीधेतौर पर कहा है कि कांग्रेस ने अस्सी के दशक में भिंडरावाले का इस्तेमाल किया था। रॉ अधिकारी ने कहा है कि वे उस समय कनाडा में था, लोग बात करते थे कि कांग्रेस भिंडरावाले से क्यों मुहब्बत कर रही है...। कमलनाथ ने कहा कि हम एक बहुत ही हाई-प्रोफाइल संत को भर्ती करना चाहते थे, जो हमारी बात मान सके। हम उन्हें पैसे भेजते थे। कमलनाथ और संजय गांधी ने भिंडरावाले को पैसे भेजे। जबकि, भिंडरावाले ने कभी नहीं मांगा।
सिद्धू ने खुलासा किया कि इस सबके पीछे सोच यही थी कि वे हिंदुओं को डराने के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल करेंगे और खालिस्तान का एक नया मुद्दा बनाया जाएगा, जो उस समय अस्तित्व में था ही नहीं।
ऑफ द रिकॉर्ड था ‘ऑपरेशन भिंडारवाले-खालिस्तान’
’द खालिस्तान कॉन्सपिरेसी’ के संदर्भ में रॉ के इस पूर्व अधिकारी का कहना है कि इस पुस्तक की सामग्री दो-चरणीय शीर्ष-गुप्त ऑपरेशन के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे मैं "ऑपरेशन भिंडरावाले-खालिस्तान" नाम देता हूं। इसे 1 अकबर रोड, नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री के आवासीय कार्यालय से संचालित कुछ वरिष्ठ और प्रभावशाली कांग्रेस नेताओं द्वारा शुरू और प्रबंधित किया गया था। आमतौर पर ऐसे ऑपरेशनों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है और सब कुछ मौखिक रूप से तय किया जाता है। हालांकि, उस ऑपरेशन में कुछ बाहरी प्रभाव थे, इसलिए रॉ किसी न किसी रूप में इसमें शामिल हो गई। यह उस संदर्भ में था कि मेरे अपने व्यक्तिगत अनुभव थे और ऑपरेशन से संबंधित अंतर्दृष्टि और वे इस पुस्तक का मूल हैं।