भाजपा के लिए गले की फांस बनी कैसरगंज की सीट
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उत्तर प्रदेश की 80 में से 75 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी ने सूबे में अपने कोटे की 75 में से 73 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन दो सीटों पर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। एक सीट रायबरेली की है, दूसरी सीट कैसरगंज है। कैसरगंज से बीजेपी के ही बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं। छह बार के सांसद बृजभूषण इस बार कैसरगंज से जीत का चौका लगाने का दावा कर रहे हैं लेकिन पार्टी उन्हें टिकट देगी भी या नहीं, इस लेकर असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है।
चर्चा है कि बीजेपी बृजभूषण पर नरमी बरतने के मूड में नहीं है और उनका टिकट काट सकती है। बृजभूषण ने कहा है, पार्टी नेतृत्व को पता है कि इस सीट पर बीजेपी मजबूत है। अगर एक दिन पहले भी बीजेपी उम्मीदवार का ऐलान करती है, तब भी पार्टी को इस सीट से जीत मिलेगी।
बृजभूषण के बयान के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। बृजभूषण के बयान में सियासत के जानकारों को नेतृत्व के लिए तेवर भी दिख रहा है और नरमी भी। बृजभूषण का कहना कि राष्ट्रीय नेतृत्व को पता है कि यहां पार्टी मजबूत है, एक दिन पहले भी उम्मीदवार का ऐलान किया तब भी पार्टी जीतेगी, अपने दमदार होने का संदेश देने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है। वहीं बृजभूषण ने यह कहकर गेंद नेतृत्व के पाले में डाल दी कि अंतिम फैसला पार्टी को लेना है, पार्टी ही प्रत्याशी तय करेगी।
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी ने बताया कि बृजभूषण उन नेताओं में से नहीं हैं, जो पार्टी का हर फैसला स्वीकार कर लें। जब फैसला अपने मुताबिक न हो तब वे तेवर दिखाने वाले नेता हैं और यह तेवर बयान में भी दिख रहा है। बृजभूषण ने यह जरूर कहा है कि अंतिम फैसला पार्टी को लेना है, लेकिन यह नहीं कहा है कि पार्टी का जो फैसला होगा वह उन्हें मंजूर होगा।
चर्चा है कि बीजेपी की ओर से बृजभूषण की जगह उनकी पत्नी या बेटे को कैसरगंज सीट से उतारने का प्रस्ताव दिया गया है लेकिन शरण इसके लिए तैयार नहीं हैं। बृजभूषण की गिनती पूर्वांचल के मजबूत राजपूत नेताओं में होती है जिनकी अपने सजातीय वोटबैंक पर मजबूत पकड़ है। यूपी की सियासत में इन दिनों राजपूत वोटर्स की बीजेपी से नाराजगी के भी चर्चे हैं। इसके बाद कहा जा रहा है बीजेपी के लिए बृजभूषण जैसे कद्दावर राजपूत नेता को साइडलाइन करना आसान नहीं होगा।
बृजभूषण के पक्ष में उनका चुनावी रिकॉर्ड भी जा सकता है। कभी सपा का गढ़ रही कैसरगंज सीट से बृजभूषण 2009 में पहली बार साइकिल के सिंबल पर ही चुनाव मैदान उतरकर जीते थे। 2014 चुनाव से पहले बृजभूषण बीजेपी में शामिल हो गए। 2009 से 2019 तक, लगातार तीन बार के सांसद बृजभूषण की जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ा है। 2009 में सपा के टिकट पर उतरे बृजभूषण को 5 लाख 65 हजार 673 वोट मिले थे। इसके बाद बृजभूषण को मिले वोट कम-अधिक होते रहे लेकिन उनकी जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ता ही चला गया।
साल 2014 में बृजभूषण बीजेपी से कैसरगंज में उतरे। बृजभूषण को 3 लाख 81 हजार 500 वोट मिले थे लेकिन उनकी जीत का अंतर 78 हजार से अधिक वोटों का रहा था। 2019 में बृजभूषण को 5 लाख 81 हजार 358 वोट मिले थे और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार चंद्रदेव राम यादव को 3 लाख 19 हजार 757 वोट। बृजभूषण ने 2019 के चुनाव में 2 लाख 61 हजार 601 वोट के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
दरअसल बृजभूषण कैसरगंज के पहले गोंडा और बलरामपुर लोकसभा सीट से भी सांसद रह चुके हैं। उनका अयोध्या, गोंडा, श्रावस्ती में भी अच्छा प्रभाव है। पूर्वांचल के राजपूत वोटर्स पर भी बृजभूषण का अच्छा होल्ड माना जाता है।
कैसरगंज लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें तीन गोंडा और दो सीटें बहराइच जिले की हैं। गोंडा जिले का जो हिस्सा इस लोकसभा क्षेत्र में आता है, वह ब्राह्मण बाहुल्य है। वहीं, बहराइच के इलाके में राजपूत मतदाताओं की बहुलता है। ब्राह्मण बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं, जबकि राजपूत वोटर्स बृजभूषण के वोट आधार है। ओबीसी वोटर्स के बीच भी बृजभूषण का अपना आधार है।