किसानों को मेहनत का वाजिब दाम
किसान हितैषी केंद्र सरकार ने बीते नौ सालों में किसानों के हित में कई अहम फैसले लिए हैं, इसी क्रम में एक बार फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की गई है, जिससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल पाएगा। इससे पहले किसान सही दाम न मिलने की वजह से अपनी फसलों को औने पौने दाम में आढ़तियों को बेच देते थे। लेकिन अब किसान पहले से कहीं अधिक समृद्ध हो गए है। केंद्र सरकार द्वारा बड़े, मध्यम एवं लघु किसानी करने वाले किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं शुरू की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व किसान सम्मान निधि आदि शामिल हैं। कुल मिलाकर केंद्र सरकार चाहती है कि किसानी के काम में जुटे देश के किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलता रहे और वह किसानी छोड़ने के लिए मजबूर न हों।
किसानों को मेहनत का वाजिब दाम
एक बार फिर केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ा दिया है, विभिन्न फसलों पर दिए जाने वाली एमएसपी का रेट बढ़ने से किसानों को अपनी मेहनत का वाजिब दाम मिल पाएगा। बात करें बीते नौ साल की तो केंद्र सरकार ने समय समय पर गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और कुसुम पर एमएसपी में काफी बढ़ोतरी की है।
2014 से पहले गेहूं पर मात्र 1400 एमएसपी मिलता था, जबकि आज सरकार 2,275रुपए/क्विंटल एमएसपी दे रही है। इसी तरह जौ पर वर्ष 2014 से पहले 1100 प्रति क्विंटल एमएसपी था, जिसे बढ़ाकर 1850 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसी तरह चना पर 3100 से 5440 प्रति क्विंटल, मसूर 2950 से बढ़ाकर 6,425 प्रति क्विंटल, सरसों 3050 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,650 रुपए प्रति क्विंटल तथा कुसुम का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3050 से बढ़ाकर 5800 रुपए कर दिया गया है। फसल का उचित मूल्य मिलने से किसान अब बेहतर फसल उगा पा रहे हैं, फसलों में तकनीकी दक्षता का इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्र सरकार की नीति बड़े किसानों के लिए ही नहीं मझोले और छोटे किसानों के लिए भी हितकारी रही है, किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खाते में प्रति वर्ष 6000 रुपए की आर्थिक सहायता हस्तांतरित की जाती है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार इस राशि में 6000 और मिलाकर किसानों को 12 हजार रुपए प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता दे रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को फसलों के अप्रत्याशित नुकसान की क्षतिपूर्ति करती है। इन सभी में अहम केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन कर प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का दायरा बढ़ा दिया, ग्रामीण क्षेत्र के किसान अब छोटी जोत के साथ भी बड़ा व्यवसाय कर सकते हैं। वहीं 2014 से पहले कांग्रेस के समय में किसान कर्ज के बोझ तले दबे रहते थे, जिसके कारण किसानों का खेती से पलायन जारी था, महाराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या करने की बात किसी से छिपी नहीं है। लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार की पहल से किसानों का अपने खेतों के प्रति एक बार फिर प्रेम जाग गया है।