भोपाल । मप्र में एक बार फिर सरकारी बसें सडक़ों पर दौड़ती नजर आएंगी। सावर्वजनिक परिवहन सेवा की बसें शुरू करने की तैयारियां तेज हो गई हैं। मप्र परिवहन सेवा को लेकर अभी तक यह माना जा रहा था कि मप्र सडक़ परिवहन निगम की तरह सरकार खुद बसें खरीदकर संचालित करेगी, लेकिन सरकार बसें नहीं खरीदेगी, बल्कि पीपीपी मोड पर बसें संचालित होंगी। यानी प्रायवेट लोग अपनी बसें मप्र परिवहन सेवा के माध्यम से संचालित कर सकेंगे। बसों पर प्रशासनिक नियंत्रण मप्र परिवहन सेवा की क्षेत्रीय कंपनियों का होगा। जिसमें निर्धारित रूट पर बसें चलानी होंगी एवं निर्धारित किराया ही वसूला जाएगा।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब 20 साल बाद सार्वजॅनिक परिवहन सेवा की बसें फिर से शुरू होने की प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर परिवहन विभाग ने मप्र परिवहन सेवा को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।  जानकारी के अनुसार शहरी, ग्रामीण परिवहन सेवा के साथ-साथ अंतर शहरी अन्तर्राज्यीय नई यात्री परिवहन सेवा का प्रबंधन राज्यस्तरीय होल्डिंग कंपनी द्वारा किया जाएगा। क्षेत्रीय स्तर पर कंपनियां होंगी और जिलास्तर पर निगरानी के लिए भी परिवहन समितियां बनेंगी। राज्यस्तरीय और संभागस्तरीय कंट्रोल और कमांड सेंटर स्थापित किए जाएंगे। नोटिफाईड रूटस पर निविदा प्रक्रिया से ऑपरेटर चुने जाएंगे।


7 संभागों में अलग-अलग कंपनियों का गठन
मप्र परिवहन सेवा के लिए राज्य स्तर पर एक मुख्य कंपनी का गठन होगा, जबकि बसों की निगरानी और नियंत्रण के लिए प्रदेश भर में 7 संभागों में अलग-अलग कंपनियों का गठन किया जाएगा। इन पर राज्यस्तरीय कंपनी का सीधा नियंत्रण होगा। परिवहन विभाग ने मप्र परिवहन सेवा के नाम से हेड भी खोल दिया है। साथ ही कंपनियों के गठन का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। मप्र परिवहन सेवा के तहत संचालित होने वाली बसों पर निगरानी के लिए भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, सागर और रीवा संभाग में कंपनियां खुलेंगी। जिस तरह से इंदौर एवं भोपाल नगर निगम सीमा में सार्वजनिक बसों (लाल) के संचालन के लिए कंपनियां काम कर रही हैं, उसी तर्ज पर ये कंपनियों काम करेंगी।


100 करोड़ रुपए मांगे
 प्रदेश में मप्र परिवहन सेवा शुरू करने के लिए विभाग ने शुरूआत में शासन ने 100 करोड़ रुपए मांगे हैं। इसके बाद कंपनियों के गठन के काम में तेजी लाई जाएगी। सार्वजनिक परिवहन की बसों का संचालन सबसे पहले इंदौर संभाग से शुरू होगा। इसके लिए विभाग पिछले महीने 14 दिसंबर को आरपीएफ तैयार करने के लिए टेंडर जारी कर चुका है। टेंडर के जरिए जिस कंपनी का चयन किया जाएगा, वह इंदौर संभाग में बस संचालन के लिए डीपीआर तैयार करेगी। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा सार्वजनिक परिवहन सेवा शुरू करने का ऐलान करते ही विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा के निर्देशन में इस नई व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। जल्द ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने मप्र परिवहन सेवा को लेकर प्रेजेंटेशन दिया जाएगा।