जनजातीय महिला सशक्तिकरण का आधार भाजपा सरकार
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की 22% आदिवासी समाज से जुड़ी महिलाओं के विकास के लिए जिन योजनाओं का संचालन किया गया, उन योजनाओं में सबसे बड़ी योजना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहने के साथ-साथ मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज एवं जनजाति समाज की महिलाओं के उत्थान के लिए नंबर वन योजना कहलाई । इस योजना को मुख्यमंत्री आहार अनुदान योजना के नाम से जाना जाता है । मध्य प्रदेश के कई छत्तीसगढ़ से लगे हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां पर जनजातीय महिला सशक्तिकरण की योजनाएं कुशल रूप से संचालित हो रही है , उसका साकार स्वरूप अब इन स्थानों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है । मध्य प्रदेश में बजट का प्रतिशत इन योजनाओं के लिए लगभग 200 गुना बढ़ चुका है ।
पीएम ने भी की थी योजना की तारीफ
मध्य प्रदेश में डबल इंजन की सरकार के कार्यकाल के अंतर्गत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग दो माह पूर्व जनजातीय महिलाओं के उत्थान एवं सशक्तिकरण के उद्देश्य से केंद्र सरकार के द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रम में करोड़ों रुपए का फंड देने के साथ-साथ शहडोल में आयोजित एक कार्यक्रम में मध्य प्रदेश की जमकर तारीफ की थी । आहार अनुदान योजना के माध्यम से केंद्र सरकार के द्वारा विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में 1460 करोड रुपए की सहायता एकमुश्त की गई । पीएम मोदी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते हुए महिला सशक्तिकरण की मध्य प्रदेश की योजनाओं की जमकर प्रशंसा की एवं वहीं दूसरी ओर विशेष रूप से आदिवासी समाज के लिए संकल्पित एवं क्रियान्वित मध्य प्रदेश की योजनाओं में आहार अनुदान योजना को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बनाने के साथ-साथ इसे केंद्र सरकार की विशेष योजना से जोड़ दिया ।
15 महीने की कांग्रेस की सरकार में बंद रही आहार अनुदान योजना ।
मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज के कल्याण के हित में आहार अनुदान योजना सबसे अधिक संवेदनशील योजना मानी जाती है । जिसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज वर्ष 2017 में प्रारंभ किया था । वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार चली गई तो कांग्रेस पार्टी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक आदिवासी समाज की महिलाओं के हित से जुड़ी हुई करोड़ की राशि को रोक दिया । मध्य प्रदेश में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बार फिर से आई तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उपचुनाव से पूर्व ही मध्य प्रदेश के आदिवासी समाज की हितग्राहियों को एक साथ सिंगल क्लिक से उनके खातों में उपरोक्त राशि जमा कराई । वर्ष 2017 के पश्चात ढाई साल के अंतराल में 219000 से अधिक आदिवासी महिलाओं के खाते में 660 करोड रुपए पहुंच गए। प्रदेश की पिछड़ी जनजातियों विशेष रूप से बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति के परिवार को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए आहार अनुदान योजना का संचालन मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज की महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ बड़ा कार्यक्रम रहा । 2017 के बाद प्रतिमाह महिलाओं की खाते में ₹1000 पहुंचते रहे और 2 लाख से अधिक जनजातीय परिवारों को इसका लाभ प्राप्त हुआ ।
शिव की शक्ति को उड़ान भरने के लिए मिल रहे हैं पंख
जनजातीय महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक तरफ जहां भाजपा सरकार ने इस समाज की महिलाओं को राष्ट्रपति पद पर विराजमान किया, वहीं दूसरी ओर प्रदेश स्तर पर भी इस समाज से जुड़ी हुई महिलाओं को बड़े स्तर पर सशक्तिकरण का माध्यम बनाया ।
उदाहरण के रूप में मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर जनजातीय समाज ने एक अलग ही तस्वीर प्रस्तुत की है । भीलांचल जिले की सीता वसुनिया महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी है। सीता ने एक जिला एक उत्पाद स्कीम के तहत ट्रेनिंग ली थी और खुद की डिजाइन की साड़ी से पहचान पाई। आदिवासी सीता की ये तस्वीर फैशन मैगजीन वॉग का हिस्सा बनी।
बैतूल जिले की जनजातीय महिलाओं की जिंदगी रेशम ने बदल दी। स्वसहायता समूह से जुड़ी ये 755 जनजातीय महिलाएं महिलाएं सतपुड़ा वुमन सिल्क प्रोड्यूसर कंपनी में शेयर होल्डर्स हैं और कंपनी का टर्न ओवर सालाना ढाई से तीन करोड़ है। जनजातीय समाज की महिलाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठाकर खुले आसमान में पंख फैलाए उड़ने की तैयारी कर रही हैं।