इजराइली सेना के कट्टरपंथी दस्ते को बैन करेगा अमेरिका
तेल अवीव/वॉशिंगटन। इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिका इजराइल की डिफेंस फोर्स (आईडीएफ)की एक बटालियन पर बैन लगाने की तैयारी में है। नेत्जाह येहुदा नाम की इस टुकड़ी पर वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों के खिलाफ मानवाधिकार के उल्लंघन के आरोप हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन जल्द ही बटालियन को ब्लैक लिस्ट भी कर सकते हैं। दरअसल, नेत्जाह येहुदा इजराइल के कट्टरपंथ सैनिकों का एक दस्ता है, जो वेस्ट बैंक में तैनात रहता है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका के इस फैसले पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि आईडीएफ पर बैन नहीं लगना चाहिए क्योंकि वे आतंकियों से लड़ रहे हैं। सेना की एक यूनिट पर प्रतिबंध लगाना बहुत ही बेतुका है। हमारी सरकार इस फैसले के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
अमेरिका के सामने नहीं झुकेंगे
नेतन्याहू के अलावा इजराइल के नेशनल सिक्योरिटी मिनिस्टर बेन ग्विर ने भी अमेरिका के फैसले की आलोचना की है। ग्विर ने कहा कि हमारे सैनिकों पर बैन लगाना हद पार करने जैसा है। यह बेहद गंभीर मामला है। हम अपनी सेना और नेत्जाह येहुदा बटालियन की रक्षा करते रहेंगे। बेन ग्विर ने इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट को भी अमेरिकी आदेशों के सामने झुकने से मना किया है। इसके अलावा इजराइल के वित्त मंत्री बेजेल स्मोट्रिच ने भी सेना पर बैन की बात का विरोध किया। स्मोट्रिच ने कहा कि नेत्जाह येहुदा पर अमेरिकी प्रतिबंध के फैसले का हम मजबूती से सामना करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इजराइल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में आईडीएफ की टुकड़ी पर बैन लगाना पागलपन है। यह सब एक साजिश का हिस्सा है, जिससे फिलिस्तीन एक आजाद देश बन जाए।
जंग से पहले वेस्ट बैंक में हुए अत्याचारों की वजह से लिया फैसला
एक्सियोस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सेना की टुकड़ी पर बैन का यह फैसला 7 अक्टूबर की जंग से पहले के मामलों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, नेत्जाह येहुदा पर वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों पर अत्याचार करने का आरोप है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि यह बैन सेना की दूसरी टुकडिय़ों या पुलिस पर नहीं लगेगा क्योंकि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग दिया है। आईडीएफ की बटालियन नेत्जाह येहुदा का गठन साल 1विनोद उपाध्याय / 21 अप्रैल, 2024 में हुआ था। इसे इसलिए बनाया गया था ताकि रूढि़वादी सैनिक बिना भेदभाव के काम कर सकें। नेत्जाह येहुदा के सैनिक किसी भी महिला से बात नहीं करते है। इन्हें पूजा-पाठ और धर्म से जुड़ी पढ़ाई के लिए ज्यादा समय दिया जाता है।