मराठा के बाद ओबीसी की गोलबंदी में घिरी एकनाथ शिंदे सरकार
मुंबई । महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन पश्चात अब अन्य पिछड़ा वर्ग की गोलबंदी एकनाथ शिंदे सरकार की चिंता बढ़ा रही है।उधर ओबीसी बिरादरियों को गोलबंद करने में एकनाथ शिंदे सरकार के ही मंत्री छगन भुजबल जुटे हुए हैं। अजित पवार के साथ सरकार के सहयोगी रहे भुजबल ने अब बागी तेवर भी अपना लिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि मराठा आरक्षण के खिलाफ मेरे स्टैंड के आधार पर इस्तीफा मांगा जाता है तो वे मंत्री और विधायकी तक के पद त्यागने को तैयार हैं।
दरअसल छगन भुजबल लगातार इस बात का विरोध कर रहे हैं कि मराठा समाज के लोगों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दिया जाए, जिसके तहत ओबीसी आरक्षण मिलता है। उन्होंने जालना जिले में हाल ही में ओबीसी वर्ग की एक बड़ी रैली की थी। उनकी इस मुहिम में कांग्रेस के भी कई नेता साथ हैं।
छगन भुजबल ने कहा, मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। यदि मेरे स्टैंड की वजह से कहा जाता है तो फिर विधायकी भी छोड़ दूंगा। मैं अपनी पार्टी के आदेश का पालन करूंगा, जिसमें अजित पवार सुप्रीम हैं। इसके अलावा कैबिनेट में सीएम मेरे बॉस हैं, जबकि भाजपा गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। यदि वे मुझसे इस्तीफा देने को कहते हैं तो दे दूंगा।
मराठा आंदोलन मुद्दे पर सरकार के झुकने के प्रश्न पर भुजबल ने कहा कि सरकार और इस मामले की सुनवाई करने वाले जजों को इस मामले में व्यापक दृष्टिकोण रखना चाहिए। मराठा आरक्षण पर बात करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि ओबीसी समाज से अन्याय न हो सके। गौरतलब है कि मराठा आंदोलनकारी भी लगातार अल्टीमेटम दे रहे हैं। मनोज जारांगे पाटिल ने तो पिछले महीने आंदोलन ही इस शर्त पर खत्म किया था कि यदि 2 जनवरी तक मराठा कोटे पर फैसला नहीं हो सका तो फिर सड़कों पर प्रदर्शन किया जाएगा।