सूरजमुखी की फसल अपनाने से नरेश मृचंडे की आय में होगी बढ़ोत्तरी

बेमेतरा : बेमेतरा जिले के ग्राम हरदी के प्रगतिशील किसान नरेश मृचंडे ने पारंपरिक धान की खेती के स्थान पर सूरजमुखी की फसल अपनाकर एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का सकारात्मक असर अब धरातल पर दिखाई देने लगा है।
कृषक मृचंडे के पास कुल 4.50 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें वे अब तक खरीफ और रबी दोनों सीजन में धान की खेती करते थे। परंतु रबी मौसम में ग्रीष्मकालीन धान से लगातार हो रहे घाटे और गिरते जलस्तर ने उन्हें विकल्प तलाशने पर मजबूर किया। इस दौरान ग्राम कृषि विकास अधिकारी जे.के. चंद्राकर के मार्गदर्शन में उन्होंने NMEO-OS (नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल – ऑयल सीड्स) योजना के अंतर्गत सूरजमुखी की खेती करने का निर्णय लिया।
सरकार द्वारा दी गई सहायता जैसे बीज, सूक्ष्म पोषक तत्व, कीटनाशक और तकनीकी मार्गदर्शन ने नरेश जी का आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने 2 हेक्टेयर भूमि में सूरजमुखी की फसल लगाई, जिसमें स्वयं के घर में निर्मित कम्पोस्ट खाद का भी उपयोग किया। उचित खेत की तैयारी, समय पर निंदाई-गुड़ाई और कीट नियंत्रण के उपायों के चलते आज उनकी फसल में फूल आ चुके हैं और उपज की संभावनाएं काफी उत्साहजनक हैं।
मृचंडे का मानना है कि सूरजमुखी की खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा संभव है, साथ ही इससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। वे सभी किसानों से अपील करते हैं कि जल संकट को देखते हुए ग्रीष्मकालीन धान की जगह सूरजमुखी जैसी फसलें अपनाएं, जिससे जल संरक्षण भी हो और आर्थिक लाभ भी।उन्होंने यह भी साझा किया कि ग्रीष्मकालीन धान से उन्हें पहले भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन अब सूरजमुखी की फसल से उनकी आय में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।नरेश मृचंडे की यह सफलता, कृषि विविधीकरण और नवाचार को अपनाने की मिसाल है – जो आने वाले समय में अन्य किसानों को भी प्रेरित करेगी।