लोगों को तीन साल पुराना रिकार्ड और कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार प्रीमियम देना होगा 


भोपाल । जिले की सरकारी जमीन पर निवास कर रहे लगभग 90 हजार लोगों को मालिकाना हक मिल सकेगा। इसके लिए लोगों को तीन साल पुराना रिकार्ड और कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार प्रीमियम देना होगा। अब तक 31 दिसंबर 2014 तक सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को ही रिकार्ड दिखाना पड़ता था, इससे सिर्फ 30 हजार लोगों को फायदा मिलता था, लेकिन धारणाधिकार नियमों में संशोधन के बाद से 31 दिसंबर 2020 तक काबिज लोग मालिकाना हक पाने के पात्र हो गए हैं। अब इसमें 60 हजार परिवार और नए जुड़ गए हैं। बता दें कि अब तक करीब 9,560 परिवारों ने मालिकाना हक के लिए आवेदन दिया है। इसमें 2,453 परिवारों को जमीन का मालिकाना हक दिया जा चुका है। 


गूगल मैप से होगा सत्यापन 
धारणाधिकार के तहत वर्ष 1989 से 31 दिसंबर 2014 तक (25 साल) रहने का रिकार्ड पेश करना पड़ रहा था, अब इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 कर दिया है। जिला प्रशासन गूगल मैप के जरिये के 2020 तक सरकारी जमीन पर काबिज लोगों का सत्यापन करेगा। 


जमीन की लीज देना पड़ेगी 
सरकारी जमीन पर काबिज परिवारों को चार रुपये प्रति वर्गमीटर सालाना भू-भाटक पर जमीन की लीज देना पड़ेगी। इसके तहत एक हजार वर्गफीट के मकान का सिर्फ 400 रुपये लीज रेंट सालाना जमा करना पड़ेगा। ऐसी जमीनें जो पहले से सरकारी थीं, वहां काबिज लोगों को वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन की दर से पांच प्रतिशत प्रीमियम देना पड़ता था, जिसे घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया है।  


कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार देना होगा प्रीमियम 
नगरीय क्षेत्र की सरकारी भूमि पर जो लोग 31 दिसंबर 2020 या उससे पहले से रह रहे हैं, वे वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन की दर से एक प्रतिशत प्रीमियम चुकाकर पट्टा ले सकेंगे। ऐसे लोग 31 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं।  
 यह दस्तावेज देना पड़ेंगे 
बिजली बिल, जल प्रदाय बिल, किसी सरकारी कार्यालय का कोई पत्र या दस्तावेज, जनगणना 2011 में उल्लेखित पता संपत्ति कर, मतदाता सूची में नाम आदि। मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान-दो के तहत धारणाधिकार का भी लाभ पात्र हितग्राहियों को दिया जाएगा। प्राप्त आवेदनों का परीक्षण करने के बाद ही लोगों को सरकारी भूमि पर रहने का मालिकाना हक दिया जाएगा। नियम में बदलाव के बाद से इनकी संख्या संभवत:  बढ़ गई है।