निर्भयाकांड की पीड़िता के बयान के बावजूद सही धाराएं नहीं लगाई थी पुलिस ने
– कोलार में दरिंदे के हैवानियत से बची युवती का मामला
mp03.in संवाददाता भोपाल
कोलार निर्भयाकांड की पीड़िता के बयानों के आधार पर पुलिस ने धाराएं नहीं लगाई थीं। इसका खुलासा मामले की एसआईटी जांच में हुआ है। जिन दो छात्राओं और उनके दोस्त ने पीड़िता को गड्डे से निकालकर एम्स में भर्ती कराया था, उन्होंने ही पुलिस को सूचना दी थी। हालांकि जब छात्र-छात्राएं मौके पर पहुंचे थे, उस वक्त दुष्कर्म की कोशिश और हत्या का प्रयास करने वाला दरिंदा अनिल बोरकर मौके पर नहीं था। पीड़िता को जब एम्स में भर्ती कराया जा चुका था, उसके बाद ही पुलिस मौके पर पहुंची थी। पुलिस को पीडि़ता ने जो बयान दिया था, उसमें बताया था कि उसके साथ दुष्कर्म के साथ जानलेवा हमला किया था।
यह मामला?
16 जनवरी को भोपाल निवासी युवती शाम को टहलने निकली थी। वह टहल रही थी, तभी रास्ते में अनिल बोरकर नाम का बदमाश आया और छेड़छाड़ करने लगा। मनचला करीब आधा घंटे तक मौके पर युवती को परेशान करता रहा, इसके बाद उसे धक्का देकर गड्ढे में गिरा दिया और पत्थर से हमला कर पीडि़ता की रीढ़ क हड्डी तोड़ दी थी। पीडि़ता बिस्तर पर पड़ी है, वह करीब छह माह तक बिस्तर से नहीं उठ सकती।
15 बिंदुओं पर हो रही जांच
मामले का खुलासा हाने के बाद कोलार पुलिस की लापरवाही की परतें खुलती जा रही हैं। पहले मामला दर्ज करने में देरी, फिर सामान्य धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध करना रहा। इसके बाद पीडि़ता द्वारा कोलार पुलिस को दिए गए बयानों और एम्स की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस को पहले ही धाराएं बढ़ाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मामले में कोलार पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा गया है। दो दिन से प्रतिदिन एसआईटी कोलार थाने और घटना स्थल पर जाकर पड़ताल कर रही है। आज भी एसआईटी साक्ष्यों की तलाश में जाएगी। पुलिस अब ऐसे प्रत्यक्षदर्शियों की तलाश कर रही है, जो पीडि़ता और दरिंदे के मध्य सड़क किनारे हो रही झड़प के दौरान वहां से गुजरे हों।